शुक्रवार, 29 जून 2012


तन्हाई सज़ा  नहीं,
सामना है हकीकत से,
दुनिया के सच को जान कर,
खुद से मुखातिब होना ही ,
तन्हाई है।
जो जितना तनहा है,
उतना ही रूबरु है,
दुनिया की असलियत से,
पास है खुद के।
जो जितना भीड़ में है,
उतना ही बेखबर है,
 सच से,
दूर है अपने आप से।
तनहा होना
दुनिया की नज़र में,
नाकामयाब सही,
पर कामयाब है वो ,
भीड़ से निकल कर ,
खुद तक पहुँच पाने की कोशिश में,
तन्हाई ही है ,
जिन्दगी का सच,
जो कल भी था ,
और आगे भी रहेगा,
चाहे कोई कितनी  भी,
कोशिश करे,
 भीड़ में खोकर,
इस सच को भुलाने की।

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