हर इन्सान छुपाये है
अपने अन्दर
एक अंतहीन खालीपन,
एक दर्द का गुबार ,
एक कभी न ख़त्म होने वाला विचारों का काफिला ,
साडी उम्र अन्दर ही अन्दर
वो ज़ूझता रहता है ,
अपने अन्दर के उस तूफ़ान से ,
सुख हो या दुख
लेकिन वो पीडा वैसी ही रहती है,
दूसरा कोई कितना भी झांके उसके अन्दर
और ढूंढे पर नहीं पा सकता
उसका छो र
वो खुद भी चाहे तो व्यक्त नहीं कर सकता ,
नही समझा सकता औरो को ,
और वो खुद भी नहीं समझ पाता
सारी उम्र ,
की क्या चाहिए उसे?
हल नहीं कर पता
अपने अन्दर की उस अबूझ पहेली को, उस अंतर्द्वंद को जो शांत होता है,
बस दिल की धड़कनो के साथ ही।
अपने अन्दर
एक अंतहीन खालीपन,
एक दर्द का गुबार ,
एक कभी न ख़त्म होने वाला विचारों का काफिला ,
साडी उम्र अन्दर ही अन्दर
वो ज़ूझता रहता है ,
अपने अन्दर के उस तूफ़ान से ,
सुख हो या दुख
लेकिन वो पीडा वैसी ही रहती है,
दूसरा कोई कितना भी झांके उसके अन्दर
और ढूंढे पर नहीं पा सकता
उसका छो र
वो खुद भी चाहे तो व्यक्त नहीं कर सकता ,
नही समझा सकता औरो को ,
और वो खुद भी नहीं समझ पाता
सारी उम्र ,
की क्या चाहिए उसे?
हल नहीं कर पता
अपने अन्दर की उस अबूझ पहेली को, उस अंतर्द्वंद को जो शांत होता है,
बस दिल की धड़कनो के साथ ही।
द्वंद जो कभी शांत नहीं होता
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