मंगलवार, 12 जून 2012

परिवर्तन


यदि  जीवन में दुःख और सुख की
परिवर्तनशीलता न होती तो शायद कविता भी न होती ,
क्योंकि कोई कहा तक लिखेगा
प्रकति पर,
मौसमो पर,
और सुन्दरता  पर,
मन सुन्दरता की भी एक भाषा होती है,
लेकिन सदा नए की चाह रखने वाले
कवि को
अपरिवर्तनशील सुन्दरता क्या दे पायेगी?
एक कवी की लेखनी तो अंत में
सुख दुःख की परिवर्तनशीलता को ही
अपनी  कविता बनाएगी।

2 टिप्‍पणियां:

  1. BAHUT ACHHA LIKHA HAI LAGTA HAI AAP ME HAR KISI KA DARD MAHSHUSH KARNE KI SHAKTI HAI

    WOW SO LOVING

    ***** BHAWANA JI***

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